दिल्ली में प्रदूषण से सांस लेना हुआ मुश्किल, उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री आतिशी को लिखा पत्र

नई दिल्ली :- दिल्ली में दमघोंटू प्रदूषण ने जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। एक तरफ लोग सांस की समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो दूसरी तरफ सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी चरम पर है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को चार पन्नों का पत्र लिखते हुए प्रदूषण की स्थिति और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।

उपराज्यपाल ने जताई निराशा

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अपने पत्र में दिल्ली के खतरनाक वायु प्रदूषण को लेकर निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली अब दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक के रूप में चिन्हित की जा रही है। इस प्रदूषण का जनजीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाते हुए कहा कि वे कई बार इस मुद्दे पर ध्यान दिला चुके हैं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट

उपराज्यपाल ने अपने पत्र में कहा कि दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के करीब पहुंच चुका है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। दीपावली और छठ पूजा जैसे त्योहारों के नजदीक आने से स्थिति और भी खराब होने की संभावना है। अस्पतालों में सांस की समस्या के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।

सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रदूषण नियंत्रण अभियानों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार जनता से सहयोग मांग रही है, जबकि खुद कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए आवश्यक संजीदगी का अभाव दिखाई दे रहा है।

दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजहें

उपराज्यपाल ने दिल्ली के प्रदूषण के कारणों को भी विस्तार से बताया। उन्होंने लिखा कि शहर में प्रदूषण का 36 प्रतिशत हिस्सा सड़कों पर उड़ने वाली धूल और निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल के कारण है। 25 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों से उत्सर्जित धुएं से होता है, जबकि 26 प्रतिशत हिस्सा अन्य राज्यों में पराली जलाने से आता है। इसके अलावा सॉलिड वेस्ट जलाने से 8 फीसदी और 5 फीसदी प्रदूषण तंदूर, जनरेटर और चूल्हों से होता है। उन्होंने कहा कि इन कारकों से न केवल धुएं का खतरा बढ़ता है, बल्कि धूल से एलर्जी और क्रॉनिक पलमोनरी डिजीज जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो रही हैं।

पत्र में उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार से अपेक्षा की है कि वह प्रदूषण को गंभीरता से ले और तत्काल समाधान की दिशा में कदम उठाए।