‘कृष्ण’ का जाप ही देता है सहस्र यज्ञों जितना फल
नई दिल्ली:- भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। हर साल भादो के महीने में अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार ध्रुव और वृद्धि योग बन रहे हैं जो बहुत शुभ हैं। इस शुभ योग में जन्माष्टमी का व्रत और पूजा-पाठ करने से मनवांछित फल मिलते हैं। कान्हा के श्रृंगार और पूजा में राशि के अनुसार फूल चढ़ाने से मुश्किलें दूर होती हैं और व्यक्ति को खूब तरक्की मिलती है।
मेष:
इस राशि के जातकों को कान्हा को लाल रंगे के फूल चढ़ाकर उनकी पूजा करनी चाहिए। इससे आपकी सारी परेशानियां दूर होंगी और जीवन में खूब तरक्की होगी।
वृषभ:
इस राशि के जातकों को बाल-गोपाल को सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे आपके ऊपर कान्हा की कृपा बनी रहेगी और जीवन में शांति बनी रहेगी।
मिथुन:
मिथुन राशि के जातकों को कृष्ण भगवान पर तुलसी चढ़ानी चाहिए। इससे आपमें साहस और बल की वृद्धि होगी।
कर्क:
कर्क राशि श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय है। इस राशि के जातकों को कृष्ण का श्रृंगार सफेद वस्त्र से करने के बाद उन्हें सफेद रंग के ही फूल चढ़ाने चाहिए।
सिंह:
इस राशि के जातकों को कृष्ण भगवान को गुलाब का फूल चढ़ाना चाहिए। इससे आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
कन्या:
कन्या राशि वालों को भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार हरे रंग के वस्त्रों से करने के बाद उन्हें हरे रंग के ही फूल चढ़ाने चाहिए। इससे कान्हा की कृपा बनी रहेगी।
तुला:
इस राशि के जातकों पर भी कृष्ण भगवान की विशेष कृपा होती है। कान्हा का श्रृंगार केसरिया वस्त्र से करने के बाद उन्हें कुमुद का फूल चढ़ाने से आपके धन-समृद्धि में वृद्धि होगी।
वृश्चिक:
इस राशि के जातकों कान्हा को लाल रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे आपके सारे कार्य फलेंगे और तरक्की की राह पर आगे बढ़ेंगे।
धनु:
धनु राशि वालों को मुरलीधर का श्रृंगार पीले वस्त्र से करने के बाद उन्हें पीले कनेर के फूल चढ़ाने चाहिए। आपका दांपत्य जीवन सुखी रहेगा।
मकर:
मकर राशि के लोगों को भी श्रीकृष्ण को पीले रंग के ही फूल चढ़ाने चाहिए। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी होगी।
कुंभ:
इस राशि के जातकों को श्रीकृष्ण पर गुलाब का फूल अर्पित करना चाहिए। इससे आपके आर्थिक जीवन में स्थिरता आएगी।
मीन:
इस राशि के लोगों को भगवान श्रीकृष्ण को मालती का फूल चढ़ाना चाहिए। इससे आपको हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
‘कृष्ण’ नाम के उच्चारण का फल:
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है,वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते।
वहीं ब्रह्माण्डपुराण, मध्यम भाग, अध्याय 36 में कहा गया है कि विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।