दिल्ली एलजी और सीएम फिर आमने सामने
नई दिल्ली:- दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के आदेश पर आप प्रवक्ता जैसमीन शाह और आप सांसद एनडी गुप्ता के बेटे नवीन एनडी गुप्ता को प्राइवेट डिस्कॉम बोर्ड से हटा दिया गया है। दोनों पर अनिल अंबानी के डिस्कॉम बोर्ड में शामिल प्राइवेट प्रतिनिधियों के साथ मिलकर उन्हें 8000 करोड़ रुपए फायदा पहुंचाने का आरोप है। एलजी के इस आदेश के बाद अब सिर्फ वित्त सचिव, विद्युत सचिव और दिल्ली ट्रांसको के एमडी ही डिस्कॉम में प्रतिनिधित्व करेंगे।
बता दें कि दिल्ली सरकार की डिस्कॉम में 49 फीसदी की हिस्सेदारी है। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के समय से केवल वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की इसमें शामिल किए जाते थे। आप सरकार ने इसका उल्लंघन करते हुए अपने प्रवक्ता और सांसद के बेटे को इसमें शामिल किया था। दोनों पर गंभीर आरोपों को देखते हुए उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने डिस्कॉम बोर्ड से हटाने का फैसला लिया है।
आप का एलजी पर निशाना:
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना के फैसले पर आम आदमी पार्टी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जैसमीन शाह और नवीन एनडी गुप्ता को डिस्कॉम के बोर्ड से हटाने का एलजी का आदेश गैर कानूनी है। शनिवार को डिस्कॉम बोर्ड से आप के दो नेताओं को हटाए जाने के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि एलजी विनय सक्सेना साहब जब से आए हैं, हर रोज एक नया आदेश पारित करते हैं। उनका आदेश ये दिखाता है कि ना तो वो सुप्रीम कोर्ट का आर्डर मानते हैं और ना ही संविधान को मानते हैं। आज इसी सीरीज में एक नया आदेश उन्होंने दिया है। उन्होंने आज केजरीवाल कैबिनेट द्वारा 4 साल पहले के पास फैसले को पलट दिया है। बिजली विभाग में 4 साल से जो बोर्ड डायरेक्टर काम कर रहे हैं, आज अपने आदेश से एलजी ने उन्हीं को बदलने का काम किया है। इससे तो 15 से 20 साल पुराने आर्डर भी बदल सकते है। उन्होंने कहा कि नीतिगत मसलों पर निर्णय लेने का अधिकार मुख्यमंत्री और चुनी हुई सरकार के पास है। एलजी विनय सक्सेना सहमति और असहमति दे सकते हैं लेकिन उपराज्यपाल कुछ भी पलट दे रहे है।
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 3 मामलों में उन्हें फैसला लेने का अधिकार दिया है। ऐसे में बाकी चीजों में उनको हस्तक्षेप करने का कोई हक नहीं है। एलजी आपत्ति भी किसी बहुत खास मामले में ही कर सकते है। एलजी की ड्यूटी है कि पहले वो मंत्री और मुख्यमंत्री को बुलाकर उनसे चर्चा करेंगे। फिर कैबिनेट में फैसले लिए जाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता तो फिर वो केंद्र सरकार को भेज सकते हैं। डिप्टी सीएम का कहना है कि दिल्ली के मामले में एलजी किसी संविधान को और किसी सिस्टम को नहीं मानते। अब उपराज्यपाल 8000 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगा रहे हैं। उसकी ये जांच करवा लें, लेकिन इस तरह आप कैबिनेट का फैसला नहीं बदल सकते।