मृत्यू जीवन प्रवाह में केवल एक पड़ाव है-अतुल सहगल
गाजियाबाद:- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “मृत्यु रहस्य ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 442 वाँ वेबिनार था। वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने मृत्यु की संक्षिप्त विवेचना करते हुए कहा कि मृत्यु लम्बे काल से समाज के सामान्य जनों में एक पहेली जैसी रही है।इसका कारण भी यही है कि आर्यावर्त्त के लोगों ने वेद और अन्य आर्ष ग्रंथों का अध्ययन बहुत कम कर दिया। इस कारण से लोगों में अनेक भ्रान्तियां उत्पन्न हो गयीं।मृत्यु आत्मा के अनंत जीवन प्रवाह में केवल एक पड़ाव है,जिसमें उसके साथ भौतिक शरीर नहीं रहता। उन्होंने मृत्यु का कारण बताते हुए सर्वज्ञ परमेश्वर की संपूर्ण और त्रुटिहीन व्यवस्था की ओर संकेत किया।यजुर्वेद और अथर्ववेद से उद्धरित मन्त्र और उनकी व्याख्या प्रस्तुत करते हुए मृत्यु के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला।मृत्यु के बाद जीवात्मा का प्रवास और उसकी गति की चर्चा की।मन्त्रों के आधार पर यह समझाने का प्रयास किया कि योग,तप और यज्ञ द्वारा कैसे दीर्घायु प्राप्त की जा सकती है और मृत्यु को कैसे आगे धकेला जा सकता है।बृहदारण्यक उपनिषद के आधार पर मृत्यु का कारण प्रकट किया।जीवात्मा के पांच क्लेश,तीन अवस्थाएं और तीन शक्तियों के बारे में बताया। मृत्यु पर प्राणी के कौन से तत्व जीवात्मा के साथ शरीर छोड़ते हैं — इसकी जानकारी दी।तत्पश्चात वक्ता ने मृत्यु सम्बंधित अन्य 13 महत्वपूर्ण बिंदु व्याख्या सहित प्रस्तुत किये।आयु की वृद्धि करने के वैज्ञानिक तथ्यों का खुलासा करते हुए यह बताया कि योग, प्राणायाम और नियंत्रित भोग से कैसे आयु बढ़ाई जा सकती है।मृत्यु के तथ्यों को जानकर मृत्यु भय से मुक्ति मिल जाती है।इसी चर्चा में आगे यह भी बताया कि मनुष्य की औसत आयु तो 100 वर्ष है परन्तु वह वेद विज्ञान और परंपरा के अनुसार चले तो 300 वर्ष तक भी जीवित रह सकता है।जाति,आयु और भोग मृत्यु के बाद कैसा मिलेगा — यह वर्तमान जन्म में जाति,आयु और भोग सम्बंधित कर्मों पर निर्भर करता है।मृत्युंजय शब्द की व्याख्या करते हुए इस तथ्य को प्रकट किया कि इच्छाएं और वासनायें पुनर्जन्म देती हैं और जाति,आयु व भोग कर्मानुसार मिलते हैं।निस्वार्थ,निष्काम परोपकारी कर्म और धर्माचरण को मोक्ष का साधन बताया।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि मृत्यु एक उत्सव है थके हारे व्यक्ति को विश्राम देती है I
मुख्य अतिथि आर्य नेता महेन्द्र नागपाल व अध्यक्ष राज सरदाना ने भी म्रत्यु को मित्र बताया और कहा आने के साथ जाने का संबंध है जुड़ा हुआ,रात्रि के साथ जिस तरह रहता है दिन बंधा हुआ।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि स्वांस निश्चित हैं योग में प्राणायाम द्वारा स्वांसों को दीर्घ किया जा सकता है गहरे लम्बे स्वांस लेने से स्वांस का खर्च घट जाता है,जब खर्च घटता है तो बचत शुरू होती है यही बचत आयु में प्लस हो जाती है और आयु बढ़ जाती है।
गायक रविन्द्र गुप्ता,ईश्वर देवी, कमला हंस,सावित्री गुप्ता,अनुश्री खरबंदा,प्रवीना ठक्कर,कुसुम भंडारी,रजनी चुघ,कमलेश मोंगा,
विजय लक्ष्मी,विजय खुल्लर,पुष्प लता पाहुजा,सुदर्शन चौधरी, जनक अरोड़ा आदि के भजन हुए।