‘गुरुवार’ है गुरु,बस ये करते ही जाग जाएगी किस्मत


:- नवग्रहों में गुरु का सर्वाधिक महत्व ,ये खुश तो जीवन हो जाता है खुशहाल

नई दिल्ली :- हिन्दू पंचांग अनुसार नवग्रहों में गुरु अर्थात बृहस्पति का सर्वाधिक महत्व बताया जाता है। अपने विशेष स्थान और प्रभाव के कारण ही ही ये गुरु कहलाते हैं। आइए आज जानते हैं ‘गुरु’ का महत्व और इस ग्रह के विषय मे अन्य रोचक बातें।


आकार में है दूसरा स्थान


बृहस्पति ग्रह का वार गुरुवार है। सौरमंडल में सूर्य के आकार के बाद बृहस्पति का ही नम्बर आता है। इस ग्रह का व्यास लगभग डेढ़ लाख किलोमीटर और सूर्य से इसकी दूरी लगभग 778000000 किलोमीटर मानी गई है। यह 13 कि.मी. प्रति सेकंड की रफ्तार से सूर्य के गिर्द 11 वर्ष में एक चक्कर लगा लेता है। यह अपनी धूरी पर 10 घंटे में ही घूम जाता है। लगभग 1300 धरतियों को इस पर रखा जा सकता है। इसकी गुरुत्व शक्ति पृथ्वी से 318 गुना ज्यादा है।

नवग्रहों में है सर्वश्रेष्ठ


गुरुवार का दिन ब्रह्मा और बृहस्पति का दिन माना गया है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधि प्राप्त है। इनके शुत्र बुध, शुक्र और राहु है।

मानव की रक्षा करने वाला


बृहस्पति हर तरह की आपदा-विपदाओं से धरती और मानव की रक्षा करने वाला ग्रह है। गुरु ग्रह के कारण ही धरती का अस्तित्व बचा हुआ है। सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक माना गया है। गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ ही मांगलित कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि गुरु से ही मंगल होता है। गुरु कुंडली में चौथा, पांचवां और नौवें भाव पर अपना प्रभाव रखते हैं। चौथे में अच्छा फल देते हैं और नौवें में भाग्य खोल देते हैं।


सच्चाई का साथी है ये ग्रह


कुंडली में बृहस्पति शुभ है तो व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता। उनकी सच्चाई के लिए वह प्रसिद्ध होता है। आंखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। यदि बृहस्पति उसकी उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 में हो तो शुभ माना जाता है।

कमजोर गुरु की निशानी


बृहस्पति कमजोर होता है तो पितृदोष माना जाता है। सिर के बीचोबीच से बाल उड़ने लगते हैं। शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न होने लगता है। नेत्र में पीड़ा होने लगती है। सपने में सर्प का दिखाई देने लगते हैं। व्यक्ति के बारे में बेकार की अफवाहें चलती रहती है। गले में दर्द और फेफड़े की बीमारी हो जाती है। ज्यादा ही खराब है तो जातक की आयु भी कम हो जाती है।


ऐसे होंगे मेहरबान


बताया जाता है कि यदि बृहस्पति कमजोर है, शुक्र, बुध या राहु के साथ है या किसी भी प्रकार से वह नीच हो रहा है तो जातक को गुरुवार का व्रत अवश्‍य करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है। उसी से आसानी से विवाह होता है और वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है। गुरु ही लंबी आयु भी प्रदान करता है। अत: गुरुवार व्रत करना जरूरी है। उथली व छिछली मानसिकता वाले व्यक्तियों को तो बृहस्पतिवार का उपवास अवश्य रखना चाहिए,इससे उसे सद्बुद्धि आती है।


ये है सबसे श्रेष्ठ दिन


हिन्दू धर्म में गुरुवार को अन्य दिनों से श्रेष्ठ और पवित्र दिन माना गया है। यह धर्म का दिन होता है। इस दिन मंदिर जाना जरूरी होता है। गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही देवताओं का स्थान माना गया है। इस दिन सभी तरह के धार्मिक और मंगल कार्य से लाभ मिलता है अत: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है अत: सभी को प्रत्येक गुरुवार को मंदिर जाना चाहिए और पूजा, प्रार्थना या ध्यान करना चाहिए।

क्या करें


इस दिन सफेद चंदन, हल्दी या गोरोचन का तिलक लगाएं। गुरुवार को पापों का प्रायश्‍चित करने से पाप नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि यह दिन देवी-देवताओं और उनके गुरु बृहस्पति का दिन होता है। उत्तर, पूर्व, ईशान दिशा में यात्रा करना शुभ। धार्मिक, मांगलिक, प्रशासनिक, शिक्षण और पुत्र के रचनात्मक कार्यों के लिए यह दिन शुभ है।सोने और तांबे का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। इस दिन घर में धूप दीप देना चाहिए खासकर गुग्गुल की धूप देना चाहिए। यदि आपका गुरु अशुभ या कमजोर है तो आप पीपल में जल चढ़ाएं। गुरुवार के दिन पीली वस्तु का सेवन करें।


क्या न करें


इस दिन शेविंग न बनाएं और शरीर का कोई भी बाल न काटें अन्यथा संतान सुख में बाधा उत्पन्न होगी। दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा करना वर्जित है। गुरुवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। इस दिन दूध और केला खाना भी वर्जित माना गया है। इस दिन कपड़े धोना और पौछा लगाना भी वर्जित माना जाता है।

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