शासन का आदेश, शिक्षकों ने बच्चों को पीटना तो दूर अगर डराया भी तो होगी कार्यवाही

✍🏻 योगेश राणा


:- परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को शारीरिक दंड पर सख्त पाबंदी

लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को अब शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकेगा। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने सख्त आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि शिक्षकों द्वारा बच्चों को शारीरिक रूप से दंडित करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश कुछ जनपदों में शिक्षकों द्वारा बच्चों के साथ की जा रही हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है।

सख्त कार्रवाई के निर्देश

महानिदेशक कंचन वर्मा ने स्पष्ट किया है कि शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों पर किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रयागराज में एक बच्चे को कक्षा में बंद कर देने की घटना और अन्य जनपदों में बच्चों की पिटाई के मामलों को गंभीरता से लेते हुए यह आदेश जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी शिक्षक द्वारा ऐसा व्यवहार सामने आता है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई होगी।शारीरिक दंड पूरी तरह प्रतिबंधितआदेश के अनुसार, अब शिक्षक बच्चों को शारीरिक दंड के रूप में पीटना तो दूर, उन्हें छू भी नहीं सकते। इसके साथ ही बच्चों को डांटना या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना भी मना है। अगर बच्चा गलती करता है, तो शिक्षक को उसे समझाकर सुधारने की जिम्मेदारी निभानी होगी, न कि उसे सजा देने की। बच्चों को किसी प्रकार की शारीरिक या मानसिक पीड़ा से बचाना अब शिक्षकों का कर्तव्य होगा।

शिक्षक अब नहीं बना पाएंगे मुर्गा

शिक्षक अब बच्चों को “मुर्गा” बनाना, स्कूल के मैदान में दौड़ाना, हाथ ऊपर करके खड़ा करना या उन्हें कक्षा में बंद करना जैसे पारंपरिक दंड नहीं दे सकेंगे। इसके अलावा, किसी भी प्रकार की फटकार या अपमानजनक व्यवहार भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह आदेश बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक शिक्षण वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

बच्चों के साथ नहीं होगा किसी प्रकार का भेदभाव : कंचन वर्मा

महानिदेशक कंचन वर्मा ने यह भी कहा कि स्कूलों में बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए, चाहे वह किसी भी समुदाय या वर्ग से संबंधित हों। बच्चों को उनके अधिकारों से अवगत कराया जाएगा ताकि वे अपने साथ हो रहे किसी भी दुर्व्यवहार की पहचान कर सकें। इसके लिए स्कूलों में कंप्लेंट बॉक्स लगाने का भी निर्देश दिया गया है, जिससे बच्चे किसी भी प्रकार की शिकायत को लिखकर बॉक्स में डाल सकें।