Today Vinayaka Chaturthi of Sawan, do not see today’s moon : आज सावन की विनायक चतुर्थी, न देखें आज का चंद्रमा

आज चंद्र दर्शन से लगता है कलंक

नई दिल्ली:– भारतीय संस्कृति में काव्य से लेकर अध्यात्म तक चंद्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। काल गणना हो,नक्षत्र की जानकारी हो या कोई भी भौगोलिक घटना का अंदेशा ,सब चन्द्रमा की दिशा दशा आधारित माना जाता है।  यही नहीं भारत में अधिकांश व्रत और त्यौहार चन्द्र भगवान के दर्शन मात्र से शुभ फलदायी होते हैं। विपरीत इन बातों के एक दिन ऐसा भी है,जब चन्द्रमा को देखना भी वर्जित है। इतना ही नहीं शास्त्रों में कहा जाता है कि इस दिन भूल से भी चन्द्र दर्शन हो जाने पर जीवन में बहुत बड़े कलंक को झेलना पड़ता है। आज के दिन वही विनायक चतुर्थी है। मान्यता है कि सावन की विनायक चतुर्थी पर व्रत कर गणेश जी की उपासना करने से बुद्धि में उन्नति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। श्रावण मास शिव परिवार की पूजा के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन की मनाही होती है। 

इसलिए है चन्द्र दर्शन की मनाही:

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान गणपति को हाथी का मुख लगाया जा रहा था तब चंद्रदेव मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। चंद्रदेव अपने सौंदर्य पर बहुत घमंड करते थे। चंद्रमा के उपहास से गणेश जी ने क्रोधित हो गए और  उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। चंद्रदेव को जब अपनी भूल का एहसास हुआ तो  उन्होंने भगवान गणेश से क्षमा मांगी। गणेश जी ने कहा कि सूर्य के तेज से तुम पुन: धीरे धीरे अपने पूर्ण स्वरूप में आ जाओगे। गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि जो कोई व्यक्ति भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठे आरोप का कलंक लगेगा, इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन निषेध है। 

भूलवश दिख जाए चंद्रमा तो क्या करें?:

इस दिन अगर गलती से चांद दिख जाए तो इस मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि इससे कलंक नहीं लगता।

सिंहः प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमार मा रोदीस्तव ह्मेषः स्यमन्तकः।।

 विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त:

ज्योतिष विद्वान आचार्य धर्मेश जी बताते हैं कि आज सावन का तीसरा सोमवार व्रत भी है। इस बार की विनायक चतुर्थी व्रत रवि योग में है। विनायक चतुर्थी व्रत के दिन गणपति बप्पा का पूजन किया जाता है। गणेश जी की जिस पर कृपा होती है, उसके सारे कार्य बिना की विघ्न और बाधा के पूरे होते हैं। 

विनायक चतुर्थी मुहूर्त – 

विनायक चतुर्थी तिथि का शुभारंभ: 01 अगस्त, प्रात: 04:18 बजे से

 विनायक चतुर्थी तिथि का समापन: 02 अगस्त, प्रात: 05:13 बजे पर

 रवि योग: 01 अगस्त, प्रात: 05:42 मिनट बजे से शाम 04:06 बजे तक 

गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11:06 बजे से दोपहर 01: 48 बजे तक

पूजा विधि:

 प्रातःकाल में स्नान के बाद पीले या लाल रंग के कपड़े पहनें। उसके पश्चात हाथ में जल, फूल और अक्षत् लेकर विनायक चतुर्थी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अब पूजा के शुभ मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना करें और उनकी विधिपूर्वक पूजा करें। इसी के साथ गणेश जी को पीले या लाल फूल अर्पित करें। चंदन, पान का पत्ता, अक्षत्, सुपारी, केला, फल, फूल, कुमकुम, धूप, दीप, गंध, दूर्वा की 11 गांठें आदि चढ़ाएं। इसके बाद गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। फिर गणेश चालीसा और विनायक चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें। अब घी के दीपक से गणेश जी की आरती विधिपूर्वक करें। 

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